विश्वास और श्रद्घा से अंत:करण शुद्घ होता है-तनिष्क पाठक

फोटो परीचय-भागवत कथा कहतीं तनिष्क पाठक 

कोंच से वरिष्ठ पत्रकार पीड़ी रिछारिया की रिपोर्ट
कोंच। यहां श्री भूतेश्वर मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में व्यासपीठ से कथा सुनाते हुए कथा प्रवक्ता सुश्री तनिष्क पाठक ने सत्संग के महात्म्य को बताते हुए कहा कि सत्संग के बिना हरिकथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हो सकता है क्योंकि भगवान में दृढ प्रेम सत्संग से ही उपजता है, विश्वास होने पर श्रद्घा उत्पन्न होती है तथा विश्वास और श्रद्घा से अंत:करण शुद्घ होता है। संगीतमयी इस कथा के बीच कथा व्यास द्वारा गाए जाने वाले भजनों पर श्रोता समुदाय झूम उठा। 
रामनवमी शोभायात्रा एवं राम जवारे समिति के तत्वाधान में संयोजित श्रीमद्भागवत कथा प्रवाह के दौरान कथा व्यास ने कहा, श्रीमद्भागवत सभी मतभेदों का शमन कर समन्वय पैदा करने बाला महान ग्रंथ है, भागवत कथा श्रवण मात्र से ही पापियों के पापों का समूल नाश हो जाता है और उसे सद्गति की प्राप्ति होती है। धुंधकारी को तो प्रेतयोनि से मुक्ति भागवत कथा सुनने से ही मिल गई थी। उन्होंने कहा कि भगवान व्यासजी को भी इसी ग्रंथ की रचना करने के बाद आत्मसंतुष्टि प्राप्त हो सकी थी। उन्होंने परमात्मा के प्रेम भाव को पारिभाषित करते हुए कहा कि जो व्यक्ति जिस रूप में भगवान का स्मरण करता है उसे उसी रूप में भगवान का सामीप्य प्राप्त होता है। कथा व्यास ने बताया कि सर्वप्रथम भागवत कथा भगवान बिष्णु ने बयालीस श्लोकों में ब्रह्मा को सुनाई, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने वेदव्यास को, व्यासजी ने अट्ठारह हजार श्लोकों में इस ग्रंथ की रचना की और अपने पुत्र शुकदेवजी को पढाई। यही कथा समय आने पर शुकदेवजी ने राजा परीक्षित को सप्ताह यज्ञ के रूप में सुनाई। अंत में कथा परीक्षित राजेश राठौर एवं वंदना ने भागवत जी की आरती उतारी एवं प्रसाद वितरित किया गया। समिति के लोग व्यवस्थाओं में लगे रहे।

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