कैथ में श्री राम महायज्ञ के दूसरे दिन प्रभू राम की बाल लीलाओं का वर्णन


जालौन। ग्रामीण क्षेत्र के कैंथ स्थित खेरेश्वर हनुमान एवं शंकर मंदिर परिसर में आयोजित ग्यारह कुंडीय श्रीराम महायज्ञ एवं रामकथा के दूसरे दिन कथा वाचक पं. अनुज महाराज ने श्रद्धालुओं को प्रभु श्रीराम के बाल रूप से जुड़ी लीलाओं का भाव-विभोर करने वाला वर्णन सुनाया। साथ ही यज्ञाचार्यों द्वारा पूर्ण वैदिक विधि-विधान से यज्ञ क्रियाएं संपन्न कराई गईं। कथा के दूसरे दिन कथा व्यास अनुज महाराज ने कहा कि अयोध्या नगरी में जब राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति की चिंता हुई, तब महर्षि वशिष्ठ के मार्गदर्शन में पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया गया। उस यज्ञ के फलस्वरूप चारों भाइयों श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। उन्होंने श्रीराम के जन्म प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि जैसे ही अयोध्या में राम का जन्म हुआ, समस्त ब्रह्मांड आनंदित हो उठा। देवताओं ने पुष्प वर्षा की और समस्त नगरवासी हर्षाेल्लास में झूम उठे। बताया कि श्रीराम का जन्म केवल अयोध्या के लिए नहीं, समस्त मानवता के कल्याण के लिए हुआ था। श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, जिनके जीवन से हमें धर्म, सेवा, शील और त्याग की प्रेरणा मिलती है। इस आयोजन में यज्ञाचार्य डॉ. शिवशंकर शुक्ला और पं. रामबाबू त्रिपाठी के नेतृत्व में ग्यारह कुंडीय श्रीराम महायज्ञ की विधिवत शुरुआत हुई। यज्ञ स्थल को सुंदर रंगोली, आम्रमंजरियों, और पुष्पमालाओं से सजाया गया था। यज्ञ मंडप में सुबह से ही आचार्य वर्ग द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आहुतियां दी गईं। श्रद्धालु यज्ञ में आहुति देने के लिए भारी संख्या में उपस्थित रहे। डॉ. शुक्ला ने बताया कि यज्ञ का उद्देश्य वातावरण को शुद्ध करना, क्षेत्र में सुख-समृद्धि लाना और जनमानस में धार्मिक चेतना जगाना है। उन्होंने कहा कि यज्ञ में आहुत किए गए वैदिक मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं और सकारात्मकता का संचार करते हैं। इस मौके पर महेंद्र सिंह प्रधान, गजराज, प्रदीप, शिवकुमार, हरिशंकर, श्याम सुंदर, पिंकू गुबरेले, संजीव सुनील, ऊदल, मनोज, राधेश्याम पचौरी, बृजमोहन भास्कर आदि मौजूद रहे।

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