यमुना नदी का जल स्तर तेजी से बढता हुआ 106 मीटर पर पहुंचा तथा रात्रि मे खतरे के निशान तक पहुंचने की सम्भावना



फोटो-पुलिस अधीक्षक बाढ का अवलोकन करते हुए तथा नाविकों को बाढ किट देते हुए

हरिश्चन्द्र दीक्षित बापू रिपोर्टर कालपी

पुलिस अधीक्षक व एडीएम ने रायड दिवारा के नाले पर भरा पानी का जायजा लिया तथा नाविकों को बाढ किट वितरण किये

कालपी(जालौन)। कोटा बैराज  बाँध से साढे तीन लाख क्यूसेक पानी छोडे जाने के बाद यमुना नदी का जलस्तर फिर बढना शुरू हो गया है। मंगलवार को नदी का आँकड़ा 106 के ऊपर दर्ज हुआ जिसके खतरे के निशान के पार जाने की सम्भावना है। राजस्थान में हो रही भारी बर्षा के कारण सावन माह में यमुना का जलस्तर तीन बार बढ चुका है हालाकि पानी खतरे के निशान से काफी नीचे रहा था लेकिन रविवार को चम्बल नदी पर बने कोटा बैराज का जलस्तर अधिक हो जाने के कारण साढे तीन लाख क्यूसेक पानी चम्बल मे छोडा गया था जिसने सोमवार सुबह ही अपना असर दिखा दिया था और क्षेत्र के दो गाँवो का सड़क सम्पर्क पूरी तरह टूट गया था हालाकि लोगों और प्रशासन को इसके और ज्यादा बढने का अनुमान नही था लेकिन मंगलवार को यमुना का जलस्तर खतरनाक स्थित में पहुंच गया है आलम यह है कि महेवा ब्लाक का पडरी गांव और कदौरा ब्लाक का रायढ दिवारा टापू बन गये और यहां के आने जाने का एकमात्र सहारा नाव ही बचा है। केन्द्रीय जल आयोग के प्रभारी रूपेश कुमार के अनुसार पानी की आवक के अनुसार यमुना का जलस्तर 108 मीटर के आसपास तक पहुंच सकता है जो खतरे का निशान है।

एसपी और एडीएम ने लिया बाढ का जायजा

यमुना में बाढ देख प्रशासन भी सक्रिय हो गया है जिसके चलते सुबह से ही तहसीलदार और नायब तहसीलदार बाढ प्रभावित क्षेत्रो का दौरा करने लगे थे जिससे किसी को ज्यादा परेशानी हो तो उनको यथा संभव मदद दी जा सके। वही यमुना उफान पर है इसकी जानकारी पाकर मंगलवार दोपहर एसपी दुर्गेश कुमार, एडीएम संजय कुमार, एसडीएम मनोज कुमार सिंह,सीओ अवधेश कुमार सिंह ने प्रशासनिक अमले के साथ रायढ नाला के पास बाढ का जायजा लिया। इस दौरान उन्होनें जब तक बाढ रहे तब तक नाविको को पार कराने की जिम्मेदारी दी जिसका भुगतान प्रशासन करेगा।

हजारो हैक्टेयर खरीफ की फसल हुई जलमग्न

बाढ से तो आम आदमी को महज आने जाने की ही परेशानी होगी पर इस बाढ की चपेट में आकर यमुना तलहटी का किसान कही का नही रहा उनकी तिल,ज्वार बाजरा,मूँग उर्द आदि की फसले बाढ के पानी में डूबकर चौपट हो गई है बाढ प्रभावित क्षेत्र के किसानो की माने तो बाढ और आई तो उनका कुछ भी नहीं बचेगा और अगर ऐसा हुआ तो वह लोग कही के भी नहीं रहेगे।

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