'ओ पालनहारे, तुम्हरे बिन हमरा कोऊ नाहीं'
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कोंच से वरिष्ठ पत्रकार पीडी रिछारिया की रिपोर्ट
* रामलला मंदिर के झूला महोत्सव में संगीत राग मालकौंस और राग यमन में आईं प्रस्तुतियां, श्रोता बोले वाह-वाह
कोंच। रामलला मंदिर में चल रहे झूला महोत्सव में गुरुवार रात संगीत की स्वर लहरियों पर श्रोता झूम उठे। राग मालकौंस और राग यमन में आईं प्रस्तुतियों पर श्रोता वाह-वाह कर उठे। शास्त्रीय संगीत जानकारों के अलावा सुगम संगीत पर पकड़ रखने वाले कलाकारों ने अपने भजनों और झूलों से श्रोता समुदाय को आनंदित किया। मंदिर के मुख्य महंत रघुनाथ दास के निर्देशन एवं हाल ही में महंत घोषित किए गए पुजारी गोविंददास की देखरेख में चल रहे तेरह दिवसीय झूला महोत्सव में गुरुवार रात अवकाश प्राप्त संगीत शिक्षक ग्यासी लाल याज्ञिक ने राग मालकौंस में अपनी जोरदार प्रस्तुति 'मुख मोड़ मोड़ मुस्काए जात' देकर श्रोताओं की तालियां बटोरीं। सौम्या त्रिपाठी ने झूला गाया 'झूला पड़े हैं सरयू तीर झूलें रामलला रघुवीर'। अंशिका त्रिपाठी ने गाया 'रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया। हनी सोनी ने अपनी भावप्रवण प्रस्तुति देते हुए गाया 'ओ पालनहारे, तुम्हरे बिन हमरा कोऊ नाहीं'। अपूर्व याज्ञिक ने राग यमन में 'मोरी गगरी न भरन देत' गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मेवालाल वर्मा ने अपनी चेतावनी भरी प्रस्तुति देते हुए गाया 'पल दो पल में क्या हो जाए पता नहीं तकदीर का'। गोपालजी शर्मा ने बीर बजरंगी को समर्पित अपना भजन गाया 'प्रार्थना यही है मेरे हनुमान जी'। अंजली समाधिया, नित्तू ठाकुर, सृष्टि वर्मा, प्रगति कुशवाहा, रिया कुशवाहा आदि की भी प्रस्तुतियां भी सराही गईं। संचालन वीरेंद्र त्रिपाठी ने किया, तबले पर महेश एवं हारमोनियम पर प्रमोद बब्बा संगत कर रहे थे। अंत में पुजारी गोविंददास ने रामलला सरकार की आरती उतारी।
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